BPL Card Action: हरियाणा सरकार ने राज्य में गरीबी रेखा से नीचे (BPL) जीवन यापन करने वाले परिवारों के राशन कार्डों की सघन जांच शुरू कर दी है। राज्य सरकार करीब सवा तीन लाख ऐसे बीपीएल राशन कार्ड रद्द करने की तैयारी कर रही है, जिनसे पिछले कई महीनों से न तो राशन लिया गया है और न ही किसी सरकारी योजना का लाभ उठाया गया है। सरकार का मानना है कि ऐसे राशन कार्ड या तो फर्जी हैं या फिर सिर्फ सरकारी लाभ उठाने के उद्देश्य से बनाए गए थे।
हर महीने होती है बीपीएल कार्डों की समीक्षा
हरियाणा सरकार हर महीने की पहली तारीख को बीपीएल राशन कार्डों की संख्या में बढ़ोत्तरी या कमी का मूल्यांकन करती है।
- एक मार्च 2025 को राज्य में 51,97,984 बीपीएल कार्ड थे।
- एक अप्रैल 2025 को यह संख्या घटकर 51,96,380 रह गई।
यानी इस एक महीने में 1604 कार्ड कम हुए।
अब 1 मई 2025 को फिर से बीपीएल राशन कार्डों की संख्या की समीक्षा की जाएगी और फर्जी पाए गए कार्ड धारकों को सूची से बाहर किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने रुकी हुई पेंशन जारी कर दी
इस प्रक्रिया के दौरान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बड़ी राहत भी दी है।
उन्होंने 57,700 ऐसे लोगों की सामाजिक सुरक्षा पेंशन जारी की जो विभिन्न कारणों से तीन से चार माह से रुकी हुई थी।
इसमें नई स्वीकृत पेंशन भी शामिल हैं।
सरकार का कहना है कि जो लोग सही पात्र हैं, उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं होने दी जाएगी।
कैसे पहचाने जाएंगे फर्जी राशन कार्ड धारक ?
खाद्य एवं आपूर्ति राज्य मंत्री राजेश नागर के अनुसार:
- सवा तीन लाख ऐसे कार्डों की पहचान की गई है जिनका कई महीनों से कोई उपयोग नहीं हुआ।
- इन कार्ड धारकों का सत्यापन और जांच कार्य अप्रैल के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा।
- इसके बाद एक मई को इन कार्डों पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
- सत्यापन में अगर कोई कार्डधारी लाभ न लेता पाया गया या पात्रता की शर्तें पूरी नहीं कर रहा है तो उसका राशन कार्ड रद्द कर दिया जाएगा।
राज्य में कितनी है बीपीएल लाभार्थियों की संख्या ?
- राज्य में फिलहाल 51,96,380 बीपीएल परिवार पंजीकृत हैं।
- इन परिवारों के कुल लाभार्थी हैं 1,97,13,944 लोग।
- हरियाणा की कुल आबादी लगभग तीन करोड़ के आसपास है।
यह आंकड़ा विपक्ष के निशाने पर भी है, जो सवाल उठा रहा है कि जब राज्य की स्थिति आर्थिक रूप से बेहतर कही जाती है, तो इतने ज्यादा बीपीएल कार्ड कैसे बने हुए हैं?
विपक्ष ने उठाए सवाल सरकार ने दिया जवाब
विपक्ष ने विधानसभा में सरकार से पूछा कि आखिर इतने ज्यादा गरीब लोग हरियाणा में कैसे हो सकते हैं?
इस पर सरकार ने स्पष्ट किया:
- जिन लोगों की वार्षिक आय 1.80 लाख रुपये तक है, उन्हें गरीबी रेखा के नीचे माना गया है।
- ऐसा इसलिए किया गया ताकि अधिक से अधिक जरूरतमंदों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।
- सरकार ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह केवल राजनीतिक फायदे के लिए बीपीएल कार्डों को लेकर सवाल उठा रहा है।
- सरकार का इरादा सिर्फ फर्जी और अपात्र कार्डों को हटाना है, ताकि वास्तविक गरीबों को मदद मिलती रहे।
सत्यापन के बाद क्या होगा ?
- जिनके कार्ड सत्यापन में सही पाए जाएंगे, उन्हें योजना के तहत सभी लाभ मिलते रहेंगे।
- जिनके कार्ड फर्जी या अपात्र पाए जाएंगे, उनके कार्ड रद्द कर दिए जाएंगे।
- राशन, पेंशन और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ अब सिर्फ उन्हीं को मिलेगा जो वास्तव में जरूरतमंद होंगे।
क्यों जरूरी है फर्जी कार्ड हटाना ?
फर्जी बीपीएल कार्डों के बने रहने से कई समस्याएं होती हैं:
- जरूरतमंद लोगों तक सहायता सही से नहीं पहुंच पाती।
- सरकारी बजट पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है।
- योजनाओं का लाभ गलत हाथों में चला जाता है।
- ईमानदार और असली पात्र लोग वंचित रह जाते हैं।
इसलिए सरकार का यह कदम योजनाओं की पारदर्शिता बढ़ाने और जनता का विश्वास कायम रखने के लिए बहुत अहम है।
असली लाभार्थियों के लिए बड़ी राहत
हरियाणा सरकार का यह निर्णय स्पष्ट संकेत देता है कि वह राज्य के असली गरीब और जरूरतमंद लोगों के साथ है।
फर्जी लाभार्थियों को हटाकर सरकार सुनिश्चित करना चाहती है कि पेंशन, राशन और अन्य सरकारी योजनाओं का फायदा केवल उन लोगों तक पहुंचे जिनके लिए ये योजनाएं बनाई गई हैं।
अगर यह सत्यापन अभियान पूरी तरह पारदर्शी तरीके से पूरा होता है, तो हरियाणा में सामाजिक सुरक्षा प्रणाली और मजबूत होगी।