School Admission Rules: देशभर में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत और बच्चों के मानसिक विकास के अनुरूप बनाने के लिए सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की है। अब अगर आप अपने बच्चे को पहली कक्षा में दाखिला दिलाना चाहते हैं, तो उसकी न्यूनतम आयु 6 वर्ष होनी अनिवार्य कर दी गई है। यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के तहत लिया गया है, जिसका उद्देश्य बच्चों को मानसिक रूप से अधिक तैयार करके औपचारिक शिक्षा में प्रवेश कराना है।
क्यों रखा गया 6 वर्ष का मानक ?
नई शिक्षा नीति के अनुसार, बच्चों को कक्षा एक में भेजने से पहले लगभग 3 साल की प्री-स्कूलिंग यानी प्ले स्कूल, नर्सरी और केजी पूरी करनी चाहिए। इस दौरान बच्चे का बौद्धिक और भावनात्मक विकास होता है, जिससे वह औपचारिक शिक्षा के लिए पूरी तरह तैयार हो पाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि 6 वर्ष की आयु में बच्चा मानसिक और शारीरिक रूप से इतना परिपक्व हो जाता है कि वह औपचारिक शिक्षा का दबाव आसानी से संभाल सके।
राज्यवार दी गई छूट का प्रावधान
हालांकि कई राज्यों ने बच्चों के हित को ध्यान में रखते हुए इस नियम में थोड़ी छूट भी दी है। कुछ राज्यों में 6 महीने तक की छूट दी जा रही है। उदाहरण के तौर पर, राजस्थान में स्कूलों में एडमिशन की अंतिम तिथि 31 जुलाई होती है, तो वहां 31 जुलाई तक बच्चे की उम्र 6 साल पूरी होनी चाहिए। यानी अगर बच्चा 31 जनवरी से 31 जुलाई के बीच 6 साल का हो रहा है, तो भी उसे प्रथम कक्षा में प्रवेश मिल सकता है।
नए प्रवेश पर लागू होगी आयु सीमा
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि 6 वर्ष की यह अनिवार्यता केवल नए प्रवेश लेने वाले बच्चों पर लागू होगी। यानी जो बच्चे पहले से आंगनवाड़ी, बालवाटिका या प्री-प्राइमरी कक्षाओं में पढ़ रहे हैं, उनके लिए यह नई आयु सीमा लागू नहीं होगी। पहले से पढ़ रहे छात्रों के लिए उनकी पुरानी उम्र मान्य होगी और उन्हें अगली कक्षा में बिना किसी रुकावट के प्रोन्नत किया जाएगा।
दाखिले के समय जरूरी होगा जन्म प्रमाण पत्र
अब कक्षा एक में प्रवेश के समय जन्म तिथि का प्रमाण पत्र अनिवार्य कर दिया गया है। प्रवेश के दौरान अभिभावकों को अपने बच्चे का वैध जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। अगर किसी बच्चे की उम्र 6 साल से कुछ महीने कम है, तो राज्य द्वारा दी गई छूट का लाभ लिया जा सकता है, लेकिन इसके लिए भी वैध दस्तावेज जरूरी होंगे।
अभिभावकों के लिए जरूरी सावधानियां
- जन्म प्रमाण पत्र पहले से बनवा कर रखें ताकि एडमिशन के समय किसी तरह की परेशानी न हो।
- बच्चे की उम्र स्कूल द्वारा तय की गई अंतिम तिथि तक 6 साल पूरी होनी चाहिए।
- यदि आपके राज्य में छूट का प्रावधान है, तो उसके नियमों को अच्छी तरह से समझ लें।
- किसी तरह की गलती से बचने के लिए एडमिशन प्रक्रिया शुरू होते ही सभी जरूरी दस्तावेज तैयार रखें।
सरकारी और निजी दोनों स्कूलों पर लागू होगा नियम
नई शिक्षा नीति 2020 के तहत यह नियम केवल सरकारी स्कूलों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि निजी (प्राइवेट) स्कूलों में भी यही मानक लागू रहेगा। यानी चाहे आप सरकारी स्कूल में एडमिशन करवाएं या किसी प्रतिष्ठित निजी स्कूल में, सभी जगह 6 वर्ष की न्यूनतम आयु का पालन अनिवार्य होगा।
शिक्षा के अधिकार कानून से तालमेल
यह नई व्यवस्था शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 (RTE Act) के अनुरूप भी है, जिसमें 6 से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान है। इसके तहत सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि बच्चा जब शिक्षा की औपचारिक शुरुआत करे तो वह मानसिक रूप से तैयार और शारीरिक रूप से सक्षम हो।
नई व्यवस्था से बच्चों को होंगे ये बड़े फायदे
- बच्चा औपचारिक शिक्षा के लिए पूरी तरह तैयार रहेगा।
- पढ़ाई को लेकर मन में डर या तनाव नहीं रहेगा।
- सामाजिक और भावनात्मक विकास बेहतर होगा।
- शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार देखने को मिलेगा।
- स्कूल ड्रॉपआउट रेट में कमी आएगी।